Madhu varma

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लेखनी कविता -ठुमक-ठुमक - बालस्वरूप राही

ठुमक-ठुमक / बालस्वरूप राही


मैं तो बिल्कुल नहीं खेलता
नाटक मम्मी जी, इस बार,
गुड्डी को तो परी बनाया
मुझे बनाया राजकुमार!

इसके ठाट-बाट तो देखो
कैसी शान निराली है,
आँखों में काजल, गालों पर
कितनी प्यारी लाली है!

मेरे मुँह पर थोप दिया है
बस सूखा पौडर बेकार
मैं तो नहीं खेलता
नाटक मम्मी जी, इस बार!

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